यादों का सिलसिला
अकेले तो हम पहले भी जी रहे थे मगर ,
न जाने क्यूँ तनहा हो गए तेरे जाने के बाद ,
रोते तो पहले भी थे इन तनहाइयों में ,
मगर आंसू रुकते नहीं अब तेरे जाने के बाद ,
तेरी ही यादों में रोता है ये दिल , तेरे ही सपने संजोता है ,
हो जाए तुझसे कुछ बात , यही चाह हरदम रखता है ,
कई बार पूछा मैंने इस से , क्यूँ भुला नहीं देता तू उसको ,
कहता है वो तो जिंदगी है , कैसे भुला सकता हूँ अपनी साँसों को
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